
दारु देसी (Daaru Desi)
by Neeraj Shridhar & Kavita Seth
चढ़ी मुझे यारी तेरी ऐसी
जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी
जैसे दारु देसी
चढ़ी मुझे यारी तेरी ऐसी
जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी
जैसे दारु देसी
लड़खड़ाने लगी मुस्कुराने लगी
बेवजह हर जगह आने जाने लगी
तू मुझे मैं तुझे
जो भी हो दिल में वह खुल के बताने लगी
चढ़ी मुझे यारी तेरी ऐसी
जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी
जैसे दारु देसी
चढ़ी मुझे यारी तेरी ऐसी
जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी
जैसे दारु देसी
वक़्त भी सरफिरा सा लगे
भागता सा रहे हर जगह
वक़्त को इन दिनों सूझने है लगी दिल्लगी
यारियां गाड़ियां जब हुयी
मस्तियाँ सस्तियाँ तब हुई
आज कल मर्ज़ियों की जगह से ठगी ज़िन्दगी
साथ हम जो चले
बन गए काफिले
और कोई हमें अब मिले न मिले
मौज है रोज़ है
रोके से भी ना ये रुकते कभी सिलसिले
चढ़ी मुझे यारी तेरी ऐसी
जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी
जैसे दारु देसी
है छड़ी है छड़ी इस कदर
घूमती झूमती हर डगर
बेफिक्र बेफिक्र सा लगे ज़िंदगी का सफ़र
यार को यार की है खबर
प्यार से प्यार सी बात कर
ये जहां है जहाँ
हम रहे अब वह ही उम्र भर
धुप को थाम के चल पड़े न थके
फुर्सतों में रहे, काम हो नाम के
बेफिक्र बेफिक्र सुबह सुहानी हो खाली हो पल शाम के
छड़ी मुझे यारी तेरी ऐसी
जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी
जैसे दारु देसी
लड़खड़ाने लगी मुस्कुराने लगी
बेवजह हर जगह आने जाने लगी
तू मुझे मैं तुझे
जो भी हो दिल में वह खुल के बताने लगी
चढ़ी मुझे यारी तेरी ऐसी
जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी
जैसे दारु देसी
चढ़ी मुझे यारी तेरी ऐसी
जैसे दारु देसी
खट्टी मीठी बातें हैं नशे सी
जैसे दारु देसी
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